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#रविवार vrat, #Shivji ki Aarti, #Om Jai Shiv Omkara ..

रविवार व्रत की विधि:

यह उपवास सप्ताह के प्रथम दिवस इतवार व्रत कथा को रखा जाता है। रविवार सूर्य देवता की पूजा का वार है। जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है। रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। रविवार व्रत विधि-विधान (Procedure of Sunday Vrata) रविवार के व्रत को करने वाले व्यक्ति को प्रात: काल में उठकर नित्यकर्म क्रियाओं से निवृ्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। घर में किसी एकान्त स्थान में ईशान कोण में भगवान सूर्य देव की स्वर्ण निर्मित मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए। इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से भगवान सूर्य देव का पूजन करना चाहिए। पूजन से पहले व्रत का संकल्प लिया जाता है। दोपहर के समय फिर से भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर पूजा करे और कथा करें। और व्रत के दिन केवल गेहूं कि रोटी अथवा गुड से बना दलिया, घी, शक्कर के साथ भोजन करें। भगवान सूर्य को लाल फूल बेहद प्रिय है। इसलिये इस दिन भगवान सूर्य की पूजा काल रंग के फूलों से करना और भी शुभ होता है। प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण कर परमात्मा का स्मरण करें। एक समय भोजन करें। भोजन इत्यादि सूर्य प्रकाश रहते ही करें। अंत में कथा सुनें इस दिन नमकीन तेल युक्त भोजन ना करें। व्रत के दिन क्या न करें इस दिन उपासक को तेल से निर्मित नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। सूर्य अस्त होने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

व्रत कथा: रविवार व्रत कथा (Sunday Vrat Katha) कथा के अनुसार एक बुढिया थी, उसके जीवन का नियम था कि व प्रत्येक रविवार के दिन प्रात: स्नान कर, घर को गोबर से लीप कर शुद्ध करती थी। इसके बाद वह भोजन तैयार करती थी, भगवान को भोग लगा कर स्वयं भोजन ग्रहण करती थी। यह क्रिया वह लम्बें समय से करती चली आ रही थी। ऎसा करने से उसका घर सभी धन - धान्य से परिपूर्ण था। वह बुढिया अपने घर को शुद्ध करने के लिये, पडौस में रहने वाली एक अन्य बुढिया की गाय का गोबर लाया करती थी। जिस घर से वह बुढिया गोबर लाती थी, वह विचार करने लगी कि यह मेरे गाय का ही गोबर क्यों लेकर आती है। इसलिये वह अपनी गाय को घर के भीतर बांधले लगी। बुढिया गोबर न मिलने से रविवार के दिन अपने घर को गोबर से लीप कर शुद्ध न कर सकी। इसके कारण न तो उसने भोजन ही बनाया और न ही भोग ही लगाया. इस प्रकार उसका उस दिन निराहार व्रत हो गया। रात्रि होने पर वह भूखी ही सो गई। रात्रि में भगवान सूर्य देव ने उसे स्वप्न में आकर इसका कारण पूछा. वृ्द्धा ने जो कारण था, वह बता दिया। तब भगवान ने कहा कि, माता तुम्हें सर्वकामना पूरक गाय देते हैं, भगवान ने उसे वरदान में गाय दी, धन और पुत्र दिया। और मोक्ष का वरदान देकर वे अन्तर्धान हो गयें. प्रात: बुढिया की आंख खुलने पर उसने आंगन में अति सुंदर गाय और बछडा पाया। वृ्द्धा अति प्रसन्न हो गई। जब उसकी पड़ोसन ने घर के बाहर गाय बछडे़ को बंधे देखा, तो द्वेष से जल उठी. साथ ही देखा, कि गाय ने सोने का गोबर किया है। उसने वह गोबर अपनी गाय्त के गोबर से बदल दिया। रोज ही ऐसा करने से बुढ़िया को इसकी खबर भी ना लगी। भगवान ने देखा, कि चालाक पड़ोसन बुढ़िया को ठग रही है, तो उन्होंने जोर की आंधी चला दी। इससे बुढ़िया ने गाय को घर के अंदर बांध लिया। सुबह होने पर उसने गाय के सोने के गोबर को देखा, तो उसके आश्चर्य की सीमा ना रही। अब वह गाय को भीतर ही बांधने लगी। उधर पड़ोसन ने ईर्ष्या से राजा को शिकायत कर दी, कि बुढ़िया के पास राजाओं के योग्य गाय है, जो सोना देती है। राजा ने यह सुन अपने दूतों से गाय मंगवा ली। बुढ़िया ने वियोग में, अखंड व्रत रखे रखा। उधर राजा का सारा महल गाय के गोबर से भर गया। राजा ने रात को उसे स्पने में गाय लौटाने को कहा. प्रातः होते ही राजा ने ऐसा ही किया। साथ ही पड़ोसन को उचित दण्ड दिया। राजा ने सभी नगर वासियों को व्रत रखने का निर्देश दिया। तब से सभी नगरवासी यह व्रत रखने लगे। और वे खुशियों को प्राप्त हुए. रविवार के व्रत के विषय में यह कहा जाता है कि इस व्रत को सूर्य अस्त के समय ही समाप्त किया जाता है। अगर किसी कारणवश सूर्य अस्त हो जाये और व्रत करने वाला भोजन न कर पाये तो अगले दिन सूर्योदय तक उसे निराहार नहीं रहना चाहिए। अगले दिन भी स्नानादि से निवृ्त होकर, सूर्य भगवान को जल देकर, उनका स्मरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। सूर्यास्त में सूर्य देव की पूजा करने के बाद निम्न आरती का श्रवण व गायन करना चाहिए। आरती | Aarti कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराजे।।। टेक।। सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भये जल कुम्भ भरे हो राम। कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम। भार अठारह रामा बलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम। छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा गयो नैवेद्य धरे हो राम। अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम। चार वेद जाको मुख की शोभा, कहा भयो ब्रह्म वेद पढ़े हो राम। शिव सनकादि आदि ब्रह्मादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम। हिम मंदार जाके पवन झकोरें, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम। लख चौरासी बंध छुड़ाए, केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।

#Arti ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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हमारे पेज द्वारा ज्योतिषीय सलाह (ASTRO SERVICES AND CONSULTATION) : हमारे पेज पर ज्योतिषीय सलाह Pandit. Yogendra Kumar जी देते हैं। पंडित. योगेंद्रा कुमार पेशे से ज्योतिषी है एवं 2 साल पूर्व से ही श्री बजरंग बली जी की कृपा से ज्योतिष् मे सेवा दे रहे है. यह इस विद्या के अध्ययन व् इसके द्वारा लोगों की सेवा में विगत 15 वर्षों से हैं। पंडित. योगेंद्रा कुमार शर्मा बिना कोई फ़ीस लिये ज्योतिषीय सलाह देते थे। पर, लगभग 1 वर्ष पहले इन्होंने अपना 'Jaipurking Jyotish Kendra' में खोला है और इसी नाम से फेसबुक पर एक पेज भी शुरू किया है, ताकि अधिक लोगों को सेवा का लाभ मिल सके. प्रभु-कृपा से हमारे ऊपर लोगों का विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और लोगो के इस ही विश्वास की वजह से हमने इस नववर्ष मे अपना फेस बुक पेज शुरू किया है | आपसे अनुरोध है की इस पेज के पाठकों/फोल्लोवर्स (Readers/Followers) की संख्या ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाए ताकि और भी लोग इस सेवा का लाभ ले सके. हम अपने ज्योतिष के ज्ञान और लोगों को हुए लाभ के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहना चाहेंगे. | आप से निवेदन है अपने अनुभव पेज पर लिखे भगवान की कृपा से, ज्योतिष हम अपने शौक और सेवा-भाव से करते हैं, अपनी आजीविका के लिए नहीं. क्योंकि इतने पेज को चलाने के लिए 10-15 लोगों का स्टाफ भी है, ज्योतिषीय परामर्श के लिए सहयोग राशि मात्र 250/- रुपये है, जो केवल अपने स्टाफ को वेतन देने और कार्यालय का खर्च चलाने के लिए लेते हैं। जिनका पैसे खर्चने का सामर्थ्य न हो, उन्हें हम सामर्थ्यानुसार कम सहयोग राशि देने पर, या जो बिलकुल भी खर्च नहीं कर सकते, निशुल्क (free) सलाह भी देते हैं।

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