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#mangalvaar vrat, #hanuman ji ki Aarti, #Om Jai Shiv Omkara .. #mangalvaar Vrat Vidhi/Puja Vidhi: यहां पढ़ें हनुमान जी की आरती संपूर्ण...आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
मंगलवार व्रत की विधि:
यह एक लोकप्रिय व्रत है, और महावीर हनुमान को समर्पित है, जिन्होंने भगवान राम की महान सेवा की। इस दिन कठोर व्रत रखा जाता है, और हनुमानजी की पूजा मिठाई और फलों से की जाती है। मंगलवर की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ और पाठ करना चाहिए। मंगलवर व्रत से, सफलता, खुशी, शक्ति, दोनों शारीरिक और नैतिक, और बीमारी से जल्दी ठीक हो जाती है। यह दुश्मनों पर काबू पाने में भी मदद करता है सुख, राज्य,पुत्र,सम्मान प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत उत्तम है. इस व्रत में गेहूँ -गुड़ का भोजन करना चाहिये. भोजन एक बार ही ग्रहण करना चाहिये. 21 सप्ताह तक व्रत से मनुष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते है. व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों चढ़ावें . हनुमान जी की पूजा करनी चाहिये. तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिये. मान्यता है कि स्त्री व कन्याओं के लिए यह व्रत अखंड सुख व संपत्ति की प्राप्ति होतीव्रत कथा: ब्राम्हण दम्पत्ति के कोई सन्तान न थी, जिसके कारण दम्पत्ति दुःखी थे. वह ब्राहमण हनुमान जी की पूजा हेतु वन में चला गया. वह हनुमान जी से एक पुत्र की कामना किया करता था. घर पर उसकी पत्नी मंगलवार व्रत किया करती थी. व्रत के अंत में भोजन बनाकर भोग लगाने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करती थी. एक बार ब्राम्हणी भोजन भोग भी नहीं लगाया. वह प्रण करके सो गई कि अब अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर अन्न ग्रहण करुंगी. वह भूखी प्यासी छः दिन पड़ी रही. मंगलवार के दिन तो उसे मूर्छा आ गई तब हनुमान जी उसकी लगन और निष्ठा को देखकर अति प्रसन्न हो गये. उन्होंने उसे दर्शन दिए और कहा – मैं तुमसे अति प्रसन्न हूँ. मैं तुझको एक सुन्दर बालक देता हूँ जो तेरी बहुत सेवा किया करेगा. हनुमान जी बाल रुप में उसको दर्शन देकर अन्तर्धान हो गए. सुन्दर बालक पाकर ब्राम्हणी अति प्रसन्न हुई . ब्राम्हणी ने बालक का नाम मंगल रखा . कुछ समय पश्चात् ब्राहमण वन से लौटकर आया. प्रसन्नचित्त सुन्दर बालक घर में क्रीड़ा करते देखकर वह ब्राहमण पत्नी से बोला – यह बालक कौन है. पत्नी ने कहा – मंगलवार के व्रत से प्रसन्न हो हनुमान जी ने दर्शन दे मुझे बालक दिया है. पत्नी की बात छल से भरी जान उसने सोचा यह कलुषता छुपाने के लिये बात बना रही है. एक दिन उसका पति कुएँ पर पानी भरने चला तो वह मंगल को कुएँ में डालकर वापिस पानी भरकर घर आया तो पत्नी ने पूछा कि मंगल कहाँ है. तभी मंगल मुस्कुराता हुआ घर आ गया. उसको देख ब्राहमण आश्चर्य चकित हुआ, रात्रि में हनुमान जी ने पति से स्वप्न में कहे – यह बालक मैंने दिया है. पति यह जानकर हर्षित हुआ. फिर पति-पत्नी मंगल का व्रत रख अपनी जीवन आनन्दपूर्वक व्यतीत करने लगे. जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है और नियम से व्रत रखता है उसे हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सर्व सुख प्राप्त होता है
#Arti हनुमान जी की आरती - आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।। लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।। पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।। बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।। जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की।
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