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#बुधवार vrat #बुधवार

बुधवार व्रत की विधि:

इस दिन प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करें। तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त हो जाएँ। इसके बाद पवित्र जल का घर में छिड़काव करें। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान बुध या शंकर भगवान की मूर्ति अथवा चित्र किसी कांस्य पात्र में स्थापित करें। तत्पश्चात धूप, बेल-पत्र, अक्षत और घी का दीपक जलाकर पूजा करें। इसके बाद निम्न मंत्र से बुध की प्रार्थना करें- बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्‌। तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः॥ बुधवार की व्रतकथा सुनकर आरती करें। इसके पश्चात गुड़, भात और दही का प्रसाद बाँटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन भगवान को सफेद फूल तथा हरे रंग की वस्तुएँ चढ़ाएँ। यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दें। व्रती एक समय ही भोजन करे। किसी भी रूप में व्रतकथा को बीच में छोड़कर, प्रसाद ग्रहण किए बिना कहीं नहीं जाना चाहिए

व्रत कथा: समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर और गुणवंती लड़की संगीता से हुआ था। एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन बलरामपुर गया। मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा कराने के लिए कहा। माता-पिता बोले- 'बेटा, आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।' लेकिन मधुसूदन नहीं माना। उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही। दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया। वहाँ से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की। रास्ते में संगीता को प्यास लगी। मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया। थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा- 'तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो?' मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूँ। लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?' मधुसूदन ने लगभग चीखते हुए कहा- 'तुम जरूर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था।' इस पर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई! झूठ तो तुम बोल रहे हो। संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है। अब तुम चुपचाप यहाँ से चलते बनो। नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूँगा।' दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे। उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहाँ एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहाँ आ गए। सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया। संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी। राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा। राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा। तभी आकाशवाणी हुई- 'मधुसूदन! तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।' मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि 'हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई। भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूँगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूँगा।' मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया। राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए। भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया। कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई। बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल दिए। मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों बुधवार को व्रत करते हुए आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे। भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी। जल्दी ही उनके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर गईं। बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुषों के जीवन में सभी मंगलकामनाएँ पूरी होती हैं।

#Arti आरती युगल किशोर की कीजै,
तन-मन-धन, न्योछावर कीजै। टेक।
गौर श्याम सुख निरखत रीझै,
हरि को स्वरूप नयन भरी पीजै।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरिख मेरो मन लोभा।
ओढ़े नील पीत पट सारी,
कुंज बिहारी गिरवर धारी।
फूलन की सेज फूलन की माला,
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला।
मोर-मुकुट मुरली कर सोहे,
नटवर कला देखि मन मोहे।
कंचन थार कपूर की बाती,
हरि आए निर्मल भई छाती।
श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,
आरती करें सकल ब्रजनारी।
नंदनंदन ब्रजभान किशोरी,
परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

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हमारे पेज द्वारा ज्योतिषीय सलाह (ASTRO SERVICES AND CONSULTATION) : हमारे पेज पर ज्योतिषीय सलाह Pandit. Yogendra Kumar जी देते हैं। पंडित. योगेंद्रा कुमार पेशे से ज्योतिषी है एवं 2 साल पूर्व से ही श्री बजरंग बली जी की कृपा से ज्योतिष् मे सेवा दे रहे है. यह इस विद्या के अध्ययन व् इसके द्वारा लोगों की सेवा में विगत 15 वर्षों से हैं। पंडित. योगेंद्रा कुमार शर्मा बिना कोई फ़ीस लिये ज्योतिषीय सलाह देते थे। पर, लगभग 1 वर्ष पहले इन्होंने अपना 'Jaipurking Jyotish Kendra' में खोला है और इसी नाम से फेसबुक पर एक पेज भी शुरू किया है, ताकि अधिक लोगों को सेवा का लाभ मिल सके. प्रभु-कृपा से हमारे ऊपर लोगों का विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और लोगो के इस ही विश्वास की वजह से हमने इस नववर्ष मे अपना फेस बुक पेज शुरू किया है | आपसे अनुरोध है की इस पेज के पाठकों/फोल्लोवर्स (Readers/Followers) की संख्या ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाए ताकि और भी लोग इस सेवा का लाभ ले सके. हम अपने ज्योतिष के ज्ञान और लोगों को हुए लाभ के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहना चाहेंगे. | आप से निवेदन है अपने अनुभव पेज पर लिखे भगवान की कृपा से, ज्योतिष हम अपने शौक और सेवा-भाव से करते हैं, अपनी आजीविका के लिए नहीं. क्योंकि इतने पेज को चलाने के लिए 10-15 लोगों का स्टाफ भी है, ज्योतिषीय परामर्श के लिए सहयोग राशि मात्र 250/- रुपये है, जो केवल अपने स्टाफ को वेतन देने और कार्यालय का खर्च चलाने के लिए लेते हैं। जिनका पैसे खर्चने का सामर्थ्य न हो, उन्हें हम सामर्थ्यानुसार कम सहयोग राशि देने पर, या जो बिलकुल भी खर्च नहीं कर सकते, निशुल्क (free) सलाह भी देते हैं।

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